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मध्यप्रदेश की जलवायु :- 

किसी भू - भाग पर लंबे समय तक पाए जाने वाले तापमान की अवस्था , वर्षा की मात्रा एवम् हवाओ की गति उस क्षेत्र की जलवायु को प्रदर्शित करते है। मध्यप्रदेश में भी भारत की तरह उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है।


प्रदेश को जलवायु के आधार पर 4 भागो में विभाजित किया गया है -

  1. उत्तर का मैदानी क्षेत्र 
  2. मालवा का पठारी क्षेत्र
  3. विंध्याचल का पर्वतीय क्षेत्र
  4. नर्मदा घाटी तथा उसका दक्षिणी क्षेत्र
          
मध्यप्रदेश की जलवायु
मध्यप्रदेश के जलवायु क्षेत्र
            


    1. उत्तर का मैदानी क्षेत्र :- 
    • इसमें बुंदेलखंड , रीवा - पन्ना का पठार व मध्य भारत क्षेत्र स्थित है।
    • इस क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु अत्यधिक गर्म होती है।
    • तथा हिमालय की समीपता के कारण शीत ऋतु में अत्यधिक ठंडी होती है।
     2. मालवा का पठारी क्षेत्र :- 
    • यह सम जलवायु क्षेत्र है।
    • चीनी यात्री फह्यान ने इसे सर्वश्रेष्ठ जलवायु वाले क्षेत्र के रूप में वर्णित किया है।
    • यहां ग्रीष्म ऋतु साधारण गर्म तथा शीत ऋतु साधारण ठंडी होती है।
     3. विंध्याचल का पर्वतीय क्षेत्र :- 
    • यहां ग्रीष्म ऋतु साधारण गर्म तथा शीत ऋतु साधारण ठंडी होती है।
    • मध्यप्रदेश के पूर्व में होने के कारण यहां वर्षा की मात्रा अधिक है।
     4. नर्मदा घाटी तथा उसका दक्षिणी क्षेत्र :- 
    • इस भाग में नर्मदा घाटी तथा उसके दक्षिण में बालाघाट से लेकर बड़वानी तक के क्षेत्र शामिल है।
    • यह क्षेत्र भू - मध्य रेखा से निकटता वाला क्षेत्र है , जिसके कारण
    • यहां ग्रीष्म ऋतु अत्यधिक गर्म तथा शीतकाल में सामान्य ठंडी जलवायु पाई जाती है।
                
    मध्यप्रदेश के वर्षा क्षेत्र
    मध्यप्रदेश के वर्षा क्षेत्र
    • सर्वाधिक तापमान  - गंजबासौदा (विदिशा)
    • न्यूनतम तापमान।  - शिवपुरी
    • वर्षा                    - जून से सितंबर तक
    • सर्वाधिक वर्षा       - पचमढ़ी (199 सेमी)
    • न्यूनतम वर्षा         - भिंड (55 सेमी)
    • औसत वर्षा          - 112 सेमी
    • ऋतु वैधशाला       - इंदौर
    • मध्यप्रदेश में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों से वर्षा होती है।
    • मध्यप्रदेश में 3 प्रकार की जलवायु पाई जाती है - 
    1. शीत ऋतु :-
    • नवंबर से फरवरी तक।
    • इस ऋतु को सियाला भी कहते है।
    • इस ऋतु में होने वाली वर्षा को मावठ कहते है , जिससे रबी की फसलों को लाभ होता है।
     2. ग्रीष्म ऋतु :-
    • मार्च से जून तक।
    • इस ऋतु की युनाला भी कहते है।
     3. वर्षा ऋतु :-
    • जून से सितंबर तक।
    • इस ऋतु को चौमासा भी कहते है।
    • औसत वर्षा 112 सिमी।
    • पूर्वी भाग में अत्यधिक 140 से 165 सेमी तथा क्रमशः पश्चिम तथा उत्तर - पश्चिमी भागो में वर्षा घटती जाती है।

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