अनुसूचित जाति :-
- संविधान के अनुच्छेद 341 में सूचीबद्ध जातियां अनुसूचित जाति कहलाती है।
- मप्र में 48 अनुसूचित जातियां है।
- जिनमें सर्वाधिक संख्या जाटव/ मोची/चर्मकार/सतनामी की है।
- अनुसूचित जातियों की जनसंख्या प्रदेश की कुल जनसंख्या के 15.6% है।
- सर्वाधिक एवं न्यूनतम अनुसूचित जाति वाले जिले इंदौर एवं झाबुआ है।
- सर्वाधिक एवं न्यूनतम अनुसूचित जाति प्रतिशत वाले जिले उज्जैन एवं झाबुआ है।
अनुसूचित जनजाति :-
- संविधान के अनुच्छेद 342 में सूचीबद्ध जातियां अनुसूचित जनजाति कहलाती है।
- मप्र में आदिम जातियों को सूचीबद्ध करने का पहला प्रयास 1931 में किया गया।
- श्री ए.वी. ठक्कर ( ठक्कर बापा) ने इन्हे आदिवासी की संज्ञा दी
- ग्रियर्सन ने इन्हे पहाड़ी जनजाति कहा।
- प्रसिद्ध समाजशास्त्री डॉ. घुरिये ने इन्हे पिछड़ा हिन्दू कहा।
- डॉ. दास एवं दास ने इन्हे विलीन मानवता कहा
- अंग्रेजो ने इन्हे दलित वर्ग कहकर संबोधित किया।
- मप्र का जनजातीय शोध एवं विकास संस्थान भोपाल में है।
- देश का पहला आदिवासी संचार केंद्र झाबुआ में है।
- मप्र में 43 अनुसूचित जनजातियां पाई जाती है।
- मप्र में सर्वाधिक संख्या भील जनजाति की है (भारत में गोंड) ।
- सहरिया , भारिया , बैगा को विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित किया गया है।
- अनुसूचित जनजतियों की संख्या मप्र की जनसंख्या का 21.1% है।
- सर्वाधिक एवं न्यूनतम अनुसूचित जनजाति वाले जिले क्रमशः धार एवं भिंड है।
- सर्वाधिक एवं न्यूनतम अनुसूचित जनजाति प्रतिशत वाले जिले क्रमशः अलीराजपुर एवं भिंड है।
- मप्र में 1964 में आदिम जाति कल्याण विभाग की स्थापना हुई जिसका नाम बदलकर 1965 में आदिवासी एवं हरिजन कल्याण विभाग कर दिया गया।
- भील :-
- यह मप्र की सबसे बड़ी जनजाति है।
- इसका निवास स्थान मुख्यतः पश्चिमी मप्र के जिलों में है।
- उपजातियां - बरेला , भिलाला , पटलिया , रथियास , तडवी भील और बेगास।
- भील शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के भिल्ल शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है - तीर।
- एक अन्य मत के अनुसार भील शब्द की उत्पत्ति तमिल भाषा के विल्लुवर शब्द से हुई है , जिसका अर्थ है - धनुष।
- भगोरिया हाट भीलों का प्रमुख प्रणय पर्व है, जो होली के अवसर पर आयोजित किया जाता है।
- भीलों में होली के अवसर पर गोल गधेड़ों विवाह का एक प्रकार है।
- भीलों के मकान की "कू" कहते है।
- इनका निवास स्थान "फाल्या" कहलाता है।
- इनके प्रमुख एवं शक्तिशाली देवता राजपंथा है।
- भील गोत्रो में विभाजित है तथा सगौत्र विवाह नहीं करते है।
- भीलों में गुदना गुदाने का प्रचलन अधिक है।
- पिथौरा भीलों का विश्व प्रसिद्ध चित्र है और श्री पेमा फल्या उसके सर्वश्रेष्ठ कलाकार है।
- भगोरिया भीलों का सर्वाधिक प्रिय नृत्य है।
- फैसला मूवी भीलों पर बनाई गई है, जिसकी शूटिंग झाबुआ में हुई है।
- गोंड :-
- यह भारत की सबसे बड़ी जनजाति है।
- यह मुख्य रूप से विंध्य एवं सतपुड़ा अंचल में पाई जाती है।
- गोंड शब्द की उत्पत्ति तेलगु भाषा के काेंड शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है - पहाड़।
- गोंड दो प्रमुख वर्गो में विभक्त है - राजगोंड एवं धुरगोंड। राजगोंड स्वयं को राजपूतों से , जबकि धुरगोंद स्वयं को सैनिक से संबंधित मानते है।
- गोंड का मूल द्रविड़ियन है।
- गोंडों का प्रिय भोजन पेज है।
- इनके प्रमुख देवता बूढ़ादेव , ठाकुरदेव , दुल्हादेव आदि है।
- इनमे अनेक प्रकार के विवाह होते है - 1) दूध लोटावा 2) सेवा विवाह
- गोंडो में मुड़िया जनजाति के समान घोटुल प्रथा (युवा गृह) पाई जाती है। यह एक संयुक्त आवास प्रथा है, जिसमें लड़के-लड़कियां साथ-साथ रहते है।
- इनके 07 प्रमुख त्योहार है - बिदरी, बकपंथी, हरडिली, नवाखानी, जवारा, मड़ई और छेरता।
- गोंड मुख्य रूप से बारी नामक खेती करते है।
- गोंड व्यवसाय के आधार पर कई उपजातियों में विभक्त है -
- लोहे का काम करने वाले - अगरिया
- मंदिरों में पूजा पाठ करने वाले - प्रधान
- झाड़ फूंक करने वाले - ओझा
- सपेरा का काम करने वाले - नगारची
- नाचने गाने वाले - कोयला भुतूस
13. प्रमुख नृत्य - करमा , सैला , भडौनी , सुआ , दीवानी , विरहा , सजनी , कहरवा , रीना आदि।
- बैगा :-
- बैगा मप्र की प्रमुख एवं पिछड़ी जनजाति है। यह गोंडों की उपजाति मानी जाती है।
- इनका निवास स्थान पूर्वी मप्र (मंडला , बालाघाट , सीधी , शहडोल) में है।
- यह द्रविड़ मूल की आदिम जनजाति है।
- बैगा के ऊपर लिखी पुस्तक द बैगा के रचयिता बैरियर एल्विन है।
- गोंड बेवार /पोंडू (झूम कृषि) जैसी कृषि करते हैं।
- यह साल / साज वृक्ष की पूजा करते हैं, जिसमें इनके प्रमुख देवता बूढ़ादेव निवास करते है।
- पेज इनका एक प्रमुख पेय पदार्थ है।
- उपजातियां - भरोतिया , नरोतिया , रैमेना , कठमेना ।
- प्रमुख नृत्य - करमा, सैला, परधौनी, फाग, बिलमा, रीना आदि।
- बैगा में समय के अनुसार तीन भोजन -सुबह (बासी) , दोपहर में पेज और रात्रि में बिमारी प्रचलित है।
- सहरिया :-
- इनका निवास मख्यतः उत्तरी मप्र (ग्वालियर , भिंड , मुरैना , शिवपुरी) में है।
- इस जनजाति का मूल निवास शाहबाद जंगल , कोटा (राजस्थान) है।
- सहरिया जड़ी बूटी के पहचान में सिद्ध हस्त होते है।
- सहरिया शब्द सहर से बना है, जिसका तात्पर्य जंगल होता है।
- इनकी बसावट को सहराना कहते है।
- इनका मुखिया पटेल कहलाता है
- प्रमुख नृत्य - दुल-दुल घोड़ी , लहंगी नृत्य (शारीरिक चपलता तथा अंग मुद्रा का प्रदर्शन)।
- भारिया :-
- भारिया द्रविड़ परिवार की जनजाति है।
- यह गोंडों को अपना अग्रज मानती है।
- इनका मुख्य निवास मुखयतः पातालकोट (छिंदवाड़ा), जबलपुर , सिवनी , मंडला में है।
- इनमे चूड़ी प्रथा प्रचलित है।
- इनकी बोली भरनोटी है।
- इनके पूर्वज राजा कर्ण देव है।
- आदिम जनजाति होने के कारण इन्हें जंगलियों के भी जंगली कहा जाता हैं।
- इनके रहने के स्थान को ढाना कहते है।
- प्रमुख नृत्य - भड़म , सैतम , कर्मा , सैला आदि।
- उपजातियां - भूमिया , भुईहार , पंडो है।
- कोल :-
- इनका निवास स्थान नर्मदा-सोन-गंगा तथा चंबल के बीच के उच्च प्रदेश अर्थात - सीधी , सतना , जबलपुर , रीवा , शहडोल में है।
- ये शबरी को अपनी मां मानते है।
- इनकी पंचायत को गोहिया कहा जाता हैं।
- कोल दहका नृत्य मुद्राओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
- उपजातियां - रोहिया , रोतेला ।
- कोल जनजाति के निवास को टोला कहते है।
- कोरकू :-
- इनका निवास स्थान मुख्यत: होशंगाबाद , पश्चिमी सतपुड़ा , बुरहानपुर , पूर्वी निमाड़ , हरदा , बैतूल , छिंदवाड़ा में है।
- कोरकू शब्द का तात्पर्य है - मनुष्यो का समूह।
- इनका प्रमुख नाट्य खंबस्वांग है।
- उपजातियां - मोवासी, पटरिया, दुलारया, बोवई, बवारी, रूमा, नहाला, बोडोया आदि है।
- विवाह पद्धति - घर दामाद , लमझना , हठ, राजी-बाज़ी , चिथौंड़ा तथा विधवा।
- प्रमुख देवता - मेघनाथ , ड़ोंगरदेव , भूटवादेव
- इनमे मृतकों को दफनाने की प्रथा है। मृतक स्मृति में लकड़ी का मृतक स्तंभ मण्डा लगाते है।
- प्रमुख नृत्य - चटकोरा।
- अगरिया :-
- इनका निवास स्थान मुुख्यतः - डिंडोरी , सीधी , मंडला , शहडोल , उमरिया है।
- इनका मुख्य व्यवसाय लोहा गलाकर औजार बनाना है।
- इनके देवता लोहासुर है, जिनका निवास स्थान धधकती हुई भट्टियों में माना जाता है।
- ये अपने देवता को काली मुर्गी की भेंट चढ़ाते है। इनका प्रिय भोजन सूअर का मांस है।
- ये उड़द की दाल को शुभ संकेत के रूप में मानते है।
- पारधी :-
- यह बहेलिया श्रेणी की जनजाति है , जो बंदरो का शिकार कर उनका मांस खाते है।
- मुख्य निवास - भोपाल , रायसेन , सीहोर।
- पनिका :-
- यह मुख्यत: छत्तीसगढ़ के विंध्य प्रदेश की जनजाति है।
- इनका निवास मु्ख्यतः सीधी , शहडोल में है।
- पनिका जनजाति के लोग कबीर पंथी होते है तथा कबीरहा कहलाते है। कबीरहा मांस मदिरा का सेवन नहीं करते हैं।
- पनिका मुख्यत: बुनकर जनजाति है, जो पारम्परिक वस्त्रों का निर्माण करती हैं।
- पनिका जनजाति द्वारा ही सबसे पहले कपड़ा बुना गया।
- खैरवार - उमरिया , सीधी , अनूपपुर , शहडोल
- सौर - सागर , दमोह
- माड़िया - जबलपुर , मंडला , शहडोल , पन्ना , छिंदवाड़ा ।
महत्वपूर्ण तथ्य :-
- मप्र का पहला जनजातीय रेडियो प्रसारण केंद्र वन्या (चंद्रशेखर आजाद नगर/भावरा , अलीराजपुर) है।
- इंदिरा गांधी आदिवासी विवि. 2008 में अमरकंटक , अनूपपुर में खोला गया।
- मप्र सरकार द्वारा अनूसूचित जाति एवं जनजाति के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाएं-
- जाबालि योजना (2004) :- वेश्यावृत्ति में उलझी जनजातियों की समस्या से संबंधित है।
- राज्य अन्नपूर्णा योजना :- अनूसूचित जाति एवं जनजाति के छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए बीजों की व्यवस्था करना।
- अंत्योदय कार्यक्रम (1 नवंबर 1994) :- इसके अंतर्गत 13 नवीन योजनाएं क्रियान्वित हो रही है।
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