वन्यजीव संरक्षण परियोजनाएं :-
- बाघ परियोजना :- बाघों की गिरती संख्या को रोकने तथा पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए 1 अप्रैल 1973 से भारत में बाघ परियोजना का प्रारंभ किया गया। अब तक देश में 50 बाघ आरक्षित क्षेत्र स्थापित किए जा चुके हैं। भारत में बाघ जनगणना 2018 के अंत तक 2967 पहुंच गई है। मप्र को 526 बाघों के साथ टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है।
- हाथी परियोजना :- भारत में हाथियों की संख्या में हो रही भारी गिरावट तथा हाथी दांत के लिए हो रहे इनके शिकार को देखते हुए 1992 में हाथी परियोजना का प्रारंभ किया गया। पेरियार, मानस, काजीरंगा, राजाजी, अन्नामलाई, जिमकार्बेट भारत के प्रमुख हाथी संरक्षित क्षेत्र है। केन्द्र सरकार ने हाथी संरक्षण के प्रयास को बढ़ावा देने के लिए अक्टूबर 2010 में हाथी को राष्ट्रीय विरासत पशु घोषित किया गया है।
- घड़ियाल प्रजनन परियोजना :- घड़ियालों की गिरती संख्या को देखते हुए 1975 में भारत सरकार द्वारा UNDP की सहायता से ओडिशा के तिकरपाड़ा स्थान से घड़ियाल प्रजनन योजना का शुभारंभ किया गया।
- कछुआ संरक्षण परियोजना :- ऑलिव रिडले दक्षिण अमेरिकी कछुए की एक प्रजाति है। भारत में इनका निवास स्थान मुख्यत: ओडिशा समुद्री तट है, परन्तु इनकी घटती संख्या को देखते हुए ओडिशा सरकार ने 1975 में भितरकणिका अभ्यारण्य में कछुआ संरक्षण परियोजना की शुरुआत की।
- गैंडा परियोजना :- एक सींग वाले गैंडे केवल भारत में पाए जाते है किन्तु इनके अवैध शिकार के कारण गैंडो की संख्या में लगातार कमी हो रही है। अतः इनके संरक्षण के लिए 1987 में गैंडा परियोजना आरंभ की गई। गैंडो के लिए असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, मानस अभ्यारण्य तथा प. बंगाल का जालदा पारा अभ्यारण्य प्रमुख है।
- गिर सिंह परियोजना :- एशियाई सिंहों के घर के रूप में प्रसिद्ध गिर अभ्यारण्य के केंद्र सरकार की मदद से गिर सिंह परियोजना का प्रारंभ किया गया। यह उद्यान अब एक मात्र ऐसा उद्यान है, जहां एशियाई शेर पाए जाते है। हाल ही में एशियाई शेरो को संरक्षित रखने के प्रयास हेतु मध्यप्रदेश के श्योपुर में स्थित पालनपुरकूनो में इन्हे स्थानांतरित किया जा रहा है।
- चिपको आंदोलन :- वृक्षों की अवैध कटाई को रोकने तथा पर्यावरण को संरक्षण प्रदान करने के लिए 1973 में सुंदरलाल बहुगुणा तथा चंडी प्रसाद भट्ट ने चिपको आंदोलन की शुरुआत उत्तराखंड के चमोली जिले से की। इसमें आंदोलनकर्ता पेड़ो से चिपक कर उन्हें कटने से बचाते है।
- एपिक्को आंदोलन :- चिपको आंदोलन के समान ही दक्षिण भारत में एपिक्को आंदोलन की शुरुआत 1983 में हुई , जिसके प्रणेता पांडुरंग हेगड़़े है। यहां एपिक्को का अर्थ है - पेड़ो का आलिंगन।
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