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भारत के जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र

 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र :- सर्वप्रथम 1971 के युनेस्को के मनुष्य तथा जैवमंडल कार्यक्रम (man and biosphere programme) में जीवमंडल आरक्षण की संकल्पना का उद्भव हुआ तथा प्रथम जीवमंडल आरक्षण का निर्धारण 1976 में किया गया। इस प्रकार जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित करने का प्रमुख उद्देश्य जैव विविधता व पारिस्थितिकीय तंत्र को दीर्घकालीन संरक्षण प्रदान करना, जैव संसाधनों का उचित प्रबंधन करना, जैव विविधता के क्षेत्र में शिक्षण-प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करना तथा इस क्षेत्र में आर्थिक सहयोग प्राप्त करना है। भारत में ऐसा पहला जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र यूनेस्को के सहयोग से 1986 में नीलगिरी क्षेत्र में स्थापित किया गया। अब तक देश में कुल 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित किए जा चुके है, जिसमें से 9 को यूनेस्को जैवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र के विश्व नेटवर्क पर मान्यता प्रदान की गई है।

नोट :- *युनेस्को के विश्व नेटवर्क पर मान्यता प्राप्त जैव मंडलीय आरक्षित क्षेत्र।

जैव मंडलीय आरक्षित क्षेत्र, स्थान एवं स्थापना वर्ष :-

  1. नीलगिरी* (कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु) - 1986
  2. नन्दा देवी* (उत्तराखंड) - 1988
  3. नाॅकरेक* (मेघालय)1988
  4. ग्रेट निकोबार* (अंडमान-निकोबार) - 1989
  5. मन्नार की खाड़ी* (तमिलनाडु)1989
  6. मानस (असम)1989
  7. सुंदरवन* (प. बंगाल) 1989
  8. सिमलीपाल* (ओडिशा) - 1994
  9. डिब्रू सैखोबा (असम) - 1997
  10. देहांग दिबांग (अरुणाचल प्रदेश) - 1998
  11. पचमढ़ी* (मध्यप्रदेश) - 1999
  12. कंचनजंगा (सिक्किम) - 2000
  13. अगस्त्य मलाई (केरल) - 2005
  14. अचानकमार* (मध्यप्रदेश) - 2005
  15. कच्छ (गुजरात) - 2008
  16. शीत मरुस्थल (हिमाचल प्रदेश) - 2009
  17. शेषाचलम (आंध्र प्रदेश) - 2010
  18. पन्ना (मध्यप्रदेश) - 2011


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