भारत की बहुउद्देशीय परियोजनाएं :-
- भाखड़ा नांगल परियोजना :- सतलज नदी पर स्थित यह भारत की सबसे बडी बहुउदूदेशीय परियोजना है । सतलज पंजाब में प्रवाहित होने चाली 5 प्रमुख नदियों में से एक है । इस नदी के जल के समुचित प्रबंधन के लिए 1963 ईं . में भाखड़ा बांध का निर्माण किया गया । भाखड़ा नांगल परियोजना पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है । इस परियोजना के अन्तर्गत पंजाब में भाखड़ा तथा नांगल के समीप 2 विद्युत गृहों का भी निर्माण किया गया है । यह विश्व का सबसे बडा सीधा गुरुत्व बांध है, जिसके पीछे गोबिन्द सागर झील का निर्माण किया गया है।
- व्यास परियोजना :- यह पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है, जिसका निर्माण व्यास नदी पर किया गया हैँ । व्यास नदी सिंधु तंत्र की एक महत्वपूर्ण नदी है । व्यास परियोजना के अन्तर्गत जिस जलाशय का निर्माण किया गया है, उसे पोंग जलाशय कहते हैं । व्यास नदी पंजाब के हरिके नामक स्थान पर सतलज नदी में मिलती है तथा यहीं पर एक हरिके बैराज का निर्माण किया गया है । इस बैराज से एक नहर निकाली गई है, जो राजस्थान के पश्चिमी जिलों की सिंचाई करती है । इस नहर को इंदिरा गांधी नहर के नाम से जाना जाता है , जिसे राजस्थान की मरुगंगा भी कहा जाता है।
- रणजीत सागर परियोजना :- यह परियोजना रावी नदी पर हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई है । इस परियोजना के अंतर्गत निर्मित बांध को थीन बांध के नाम से जाना जाता है । इस परियोजना से हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा और राजस्थान भी लाभान्वित हो सकेगें।
- नर्मदा घाटी परियोजना :- नर्मदा पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों में सबसे लम्बी नदी है । इस नदी पर 29 बृहद, 450 मध्यम तथा 3000 छोटे बांधों के निर्माण की योजना है । नर्मदा नदी पर कई बांध बनाए गए हैं, जिनमें गुजरात का सरदार सरोबर तथा मध्य प्रदेश का इंदिरा सागर प्रमुख है । नर्मदा घाटी परियोजना विवादों में भी रही । नर्मदा जल के विवाद को निपटाने के लिए 1969 में नर्मदा जल विवाद प्राधिकरण का भी गठन किया गया । मेधा पाटकर ने नर्मदा घाटी परियोजना के विरुद्ध आन्दोलन चलाकर राष्टीय ख्याति अर्जित की । नर्मदा घाटी परियोजना के अन्तर्गत कुछ परियोजनाए निम्नलिखित हैं -
- इंदिरा सागर परियोजना :- इस परियोजना का निर्माण नर्मदा नदी पर खण्डवा में किया गया, जिसका शिलान्यास इंदिरा गांधी ने किया था । यह मध्य प्रदेश और गुजरात की सयुक्त परियोजना है । हालांकि यह परियोजना विवादास्पद हो जान के कारण पूर्णत: क्रियान्वित नहीं हो सकी है, परन्तु इसका निर्माण हो जाने के बाद यह विश्व की सबसे बडी नदी घाटी परियोजना साबित होगी ।
- ओंकारेश्वर परियोजना :- यह परियोजना नर्मदा नदी पर मध्य प्रदेश के खण्डवा जिले में स्थित है।
- सरदार सरोवर परियोजना :- इस परियोजना का निर्माण गुजरात में नर्मदा नदी पर नवगांव के समीप किया गया है। यह 1450 मेगावॉट की जल विद्युत परियोजना है । इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले राज्यों में गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान शामिल हैं । यद्यपि इस परियोजना का सर्वाधिक लाभ गुजरात को प्राप्त है, परन्तु सर्वाधिक विद्युत मध्यप्रदेश को दी जाती है । बांध की ऊँचाई तथा विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर यह परियोजना भी विवादास्पद बनी हुई है।
- नागार्जुन सागर परियोजना :- यह परियोजना कृष्णा नदी पर निर्मित है, जो आन्ध्र प्रदेश की सबसे बडी परियोजना है । यह परियोजना वर्तमान मे नवगठित आन्ध्र प्रदेश तथा तेलंगाना दोनों राज्यों में विस्तारित है । इस परियोजना के अन्तर्गत्त श्रीसैलम जलाशय का निर्माण किया गया है।
- तुंगभद्रा परियोजना :- यह परियोजना तुंगभद्रा नदी पर स्थित है, जो कृष्णा की सहायक नदी है । यह योजना आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्य की संयुक्त परियोजना है।
- भीमा परियोजना :- यह परियोजना महाराष्ट्र के भीमा नदी पर स्थित है, जो कृष्णा की सहायक नदी है।
- हीरांकुण्ड परियोजना :- ओडिशा (उडी़सा) में महानदी के बाढ़ से बचने के लिए इस परियोजना का निर्माण किया है । इस परियोजना के तहत् महानदी नदी पर सम्बलपुर के निकट हीराकुण्ड नामक स्थान पर विस्तृत बांध बनाया गया है, जो विश्व का सबसे लंबा बांध है । इस बांध की कुल लम्बाई 25 .8 किमी है।
कोयना परियोजना :- यह परियोजना महाराष्ट्र के कोयना नदी पर स्थित है, जो कृष्णा की सहायक नदी है।
चम्बल घाटी परियोजना :- इस परियोजना का निर्माण चम्बल नदी पर किया गया है, जो मध्य प्रदेश एवं राजस्थान की संयुक्त परियोजना है। चम्बल, यमुना की सहायक नदी है। चम्बल घाटी परियोजना के कार्यक्रम को 3 चरणों में विभक्त किया गया है- प्रथम, गांधी सागर बांध, मंदसौर (112 मेगावाट)। द्वितीय, राणाप्रताप सागर बांध, चित्तोंड़गढ़ ( 172 मेगावॉट)। तृतीय, जवाहर सागर बांध, कोटा (99 मेगावॉट)।
टिहरी बांध परियोजना :- टिहरी बांध का निर्माण उत्तराखण्ड में भागीरथी व भिलांगना नदी के संगम पर किया गया है, जिसका उददेश्य सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण तथा विद्युत उत्पादन करना है । इस परियोजना से 2400 मेगावॉट विद्युत उत्पादन किया जाएगा । टिहरी बांध एक चट्टान निर्मित बांध है।
दामोदर नदी घाटी परियोजना :- पश्चिम बंगाल का शोक कही जाने वाली दामोदर नदो का उद्गम छोटा नागपुर के पठार से होता है। इस नदी पर स्वतंत्र भारत की पहली बहुउदूदेशीय परियोजना स्थापित की गई जिसे दामोदर नदी घाटी परियोजना के नाम से जाना जाता है। यह झारखण्ड और पश्चिम बंगाल की संयुक्त परियोजना है । यह अमेरिका की टेनेसी घाटी परियोजना को आधार बनाकर आरंभ की गई । इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए 1948 ई. में दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य दामोदर नदी में आने वाली बाढ़ और उसके द्वारा होने वाला भूमिअपरदन की समस्या पर नियंत्रण स्थापित करना और सिंचाई सुविधा तथा विद्युत उत्पादन बढाना है। इस परियोजना के अन्तर्गत 4 बांध - तलैया, कोनार, मैथान और पंचेत बनाए गए हैं । इसमें से तलैया तथा मैथान दामोदर की सहायक नदी बराकर पर, जबकि कोनार तथा पंचेत दामोदर नदी पर स्थित है।
जायकवाड़ी परियोजना :- गोदावरी नदी के जल के समुचित उपयोग के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा चलाई गई एक परियोजना है।
पोचम्पाद परियोजना :- यह गोदावरी नदी के जल के समुचित उपयोग के लिए तेलंगाना सरकार द्वारा निर्मित एक विस्तृत परियोजना है।
गंडक परियोजना :- यह बिहार और उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है, जो बिहार की गंडक नदी पर स्थित है। इस परियोजना में नेपाल को भी 1959 में शामिल कर लिया गया।
कोसी परियोजना:- यह परियोजना बिहार में कोसी ऩदी पर निर्मित है । इस परियोजना की शुरुआत नेपाल तथा बिहार के संयुक्त प्रयासों से 1954 ई. में हुई। कोसी नदी के जल को नियंत्रित करना, सिंचाई एवं ऊर्जा का निर्माण, बाढ पर नियंत्रण, भूमि-अपरदन रोकना इस परियोजना के मुख्य उद्देश्य है। इस परियोजना के अंतर्गत नेपाल में हनुमान बैराज का निर्माण किया गया है। इसे बिहार का शोक भी कहा जाता है।
- बाणसागर परियोजना :- बाणसागर परियोजना का निर्माण सोन नदी पर किया गया है, जो मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार की संयुक्त परियोजना है। इस परियोजना के लिए तीनों राज्यों का आर्थिक योगदान क्रमश : 2:1:5 के अनुपात में निर्धारित है ।
- रिहन्द परियोजना :- यह उत्तर प्रदेश की सबसे बडी बहुउदूदेशीय परियोजना है । इसके अन्तर्गत सोन की सहायक नदी रिहन्द पर एक बांध बनाया गया है। इसके पीछे निर्मित जलाशय को गोबिन्द वल्लभ पंत सागर जलाशय कहा जाता है, जो भारत की सबसे बडी कृत्रिम झील है।
- काकरापार परियोजना :- यह परियोजना गुजरात सरकार द्वारा ताप्ती नदी पर निर्मित की गई है। इस परियोजना का उददेश्य राज्य की सिंचाई और विद्युत की आवश्यकता को पूरा करना है।
उकाई परियोजना :- जल के उचित प्रबंधन के लिए गुजरात सरकार द्वारा ताप्ती नदी पर इस परियोजना का निर्माण किया गया है।
माही परियोजना :- यह परियोजना गुजरात में माही नदी पर निर्मित है।
तवा परियोजना :- तवा नदी के जल के समुचित उपयोग के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही एक परियोजना है । तवा नदी नर्मदा की सहायक नदी है, जो मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में बहती है।
राजघाट बांध परियोजना :- यह परियोजना बेतवा नदी पर स्थित है, जो मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है । राजघाट बांध परियोजना का नया नाम रानी लक्ष्मीबाई सागर परियोजना कर दिया गया है।
रामगंगा परियोजना :- यह गंगा की सहायक नदी रामगंगा पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निर्मित परियोजना है।
फरक्का परियोजना :- यह परियोजना गंगा नदी और भागीरथी में आने वाली बाढ के प्रकोप से कोलकाता के बंदरगाह को सुरक्षा प्रदान करने तथा हुगली नदी में जल-परिवहन की व्यवस्था को सुधारने के उद्देश्य से 1963-64 में आंरंभ की गई थी। इस परियोजना के तहत् गंगा नदी पर फरक्का में बाध का निर्माण किया गया । इस परियोजना के अंतर्गत रेल-पुल एवं सड़क पुल का निर्माण किया गया है और जल मार्ग का निर्माण चल रहा है ।
मयूरांक्षी परियोजना :- यह पश्चिम बंगाल की एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिसका निर्माण मयूराक्षी नदी पर हुआ है । मयूराक्षी नदी छोटा नागपुर पठार के उत्तर पूर्वी भाग से निकलकर बिहार में प्रवाहित होती हुई प. बंगाल में प्रविष्ट होती है । इस परियोजना के अन्तर्गत एक बांध का निर्माण किया गया, जिसे कनाडा बांध भी कहते हैं।
दुलहस्ती परियोजना :- यह परियोजना जम्मू-कश्मीर के चेनाब नदी पर निर्मित है।
चुक्खा परियोजना:- यह भारत और भूटान द्वारा संयुक्त रूप से चलाई जाने वाली एक परियोजना है । इस परियोजना की शुरुआत भारत सरकार द्वारा की गई थी।
- सलाल परियोजना :- चेनाब नदी के जल के समुचित उपयोग के लिए जम्मू और कश्मीर राज्य द्वारा तैयार की गई एक विस्तृत परियोजना है। इस परियोजना पर कार्यारम्भ 1970 ई. में हुआ।
- बगलिहार परियोजना :- इस परियोजना का निर्माण जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर किया गया है।
- किशनगंगा परियोजना :- इस परियोजना का निर्माण जम्मू-कश्मीर में झेलम की सहायक नदी किशनगंगा पर किया गया है।
- तुलबुल परियोजना :- इस परियोजना का निर्माण जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी पर किया गया है।
- तेलगुगंगा परियोजना :- यह कृष्णा नदी पर निर्मित महाराष्ट, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश तथा कर्नाटक की संयुक्त परियोजना है, जिसके माध्यम से तमिलनाडु के चेन्नई शहर को पेयजल प्रदान किया जाता है ।
- शिवसमुद्रम परियोजना :- इस परियोजना का निर्माण कर्नाटक में कावेरी नदी पर किया क्या है ।
- मेटुर परियोजना :- मेटुर परियोजना का निर्माण तमिलनाडु में कावेरी नदी पर किया गया है। इसके अन्तर्गत मिट्टी का बांध बनाया गया है।
- घाटप्रभा - घाटप्रभा नदी पर, कर्नाटक।
- काकरापार -ताप्ती नदी पर, गुजरात।
- उकाई - ताप्ती नदी पर, गुजरात।
- माताटीला -बेतवा नदी पर, उत्तर प्रदेश।
- इदुक्की - पेरियार नदी पर, केरल।
- स्वर्ण रेखा - स्वर्ण रेखा नदी पर, झारखण्ड।
- तिपाई मुख्य - बराक नदी पर, मिजोरम।
- शरावती - शरावती नदी पर, केरल ।
- तीस्ता - तीस्ता नदी पर, सिक्किम।
- हसदो - हसदो नदी पर, छत्तीसगढ़।
- मयूराक्षी - मयूराक्षी नदी पर, पश्चिम बंगाल।
- नाथपा झाकड़ी - सतलज नदी पर, हिमाचल।
Nice
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