मध्यप्रदेश के ऊर्जा संसाधन :-
ऊर्जा के 2 स्रोत है -
- परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत
- गैर - परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत
- परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत :- वे स्त्रोत जिनके निकट भविष्य में समाप्त होने की संभावना है , यद्यपि इनके भंडार सीमित है परन्तु ये मप्र में ऊर्जा के बड़े भाग की पूर्ति करते है।
ताप विद्युत केंद्र :-
- चांदनी ताप विद्युत केंद्र (बुरहानपुर) :-
- यह मप्र का प्रथम ताप विद्युत केंद्र है।
- स्थापना - 1953 , नेपानगर (बुरहानपुर)
- उत्पादन क्षमता - 17 मेगावॉट।
- यहां तवा क्षेत्र का कोयला तथा पानी उपयोग किया जाता है।
2. विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र (सिंगरौली) :-
- यह सिंगरौली के बैढ़न में स्थित है।
- उत्पादन क्षमता - 4760 मेगावॉट।
- यह भारत का सबसे बड़ा ताप विद्युत केंद्र है।
- यह NTPC द्वारा संचालित है।
- यह केंद्र रूस की सहायता से निर्मित है।
- इसे कोयला सिंगरौली की खदान से तथा पानी रिहंद नदी से प्राप्त होता है।
3. सतपुड़ा ताप विद्युत केंद्र (बैतूल) :-
- यह बैतूल जिले के सरणी में स्थित है।
- स्थापना - 1967 में अमेरिका के सहयोग से की गई थी।
- उत्पादन क्षमता - 1437 मेगावॉट।
- यह मप्र तथा राजस्थान का संयुक्त उपक्रम (3:2) है।
- इसे जल की आपूर्ति माचना नदी से तथा कोयले की आपूर्ति पाताखेडा के अलावा नार्दन कोल्ड फील्ड लिमिटेड बिलासपुर होती है।
4. संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र (उमरिया) :-
- यह मप्र के उमरिया जिले के वीरसिंहपुर में स्थित है।
- उत्पादन क्षमता - 1340 मेगावॉट।
- इस विद्युत क्षेत्र को पानी जोहिला क्षेत्र से तथा कोयला साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड लि. से प्राप्त होता है।
5. अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र (अनूपपुर) :-
- यह मप्र के अनूपपुर जिले के सोहागपुर कोयला क्षेत्र में स्थित है।
- उत्पादन क्षमता - 500 मेगावाट।
- इस केंद्र को कोयला सीधी और सुहागपुर की खदानों से प्राप्त होता है।
- जबकि जल की आपूर्ति सोन नदी से होती है।
6. सिंगाजी ताप विद्युत केंद्र (खंडवा) :-
- यह विद्धुत केंद्र खंडवा जिले में स्थित है।
- उत्पादन क्षमता - 1200 मेगावॉट।
7. दादाजी धूनीवाले ताप विद्युत केंद्र (खंडवा) :-
- यह विद्धुत केंद्र खंडवा जिले में स्थित है।
- उत्पादन क्षमता - 2600 मेगावॉट।
8. बांध एवं मांडू ताप विद्युत केंद्र (सीधी) :-
- यह विद्धुत केंद्र सीधी जिले में स्थित है।
- यह मप्र तथा गुजरात की संयुक्त परियोजना है।
9. पेंच ताप विद्युत केंद्र (छिंदवाड़ा) :-
- यह विद्धुत केंद्र छिंदवाड़ा जिले में स्थित है।
- उत्पादन क्षमता - 210 मेगावॉट ।
10. जबलपुर ताप विद्युत केंद्र :-
- यह ताप विद्युत केंद्र मप्र विद्युत मंडल द्वारा 1960 में स्थापित किया गया है।
- उत्पादन क्षमता - 151 मेगावॉट।
11. बीना ताप विद्युत केंद्र :-
- यह ताप विद्युत केंद्र सागर जिले के बीना शहर में स्थित है।
- उत्पादन क्षमता - 500 मेगावॉट।
- चंबल नदी घाटी परियोजना (पहली नदी घाटी परियोजना) :-इस परियोजना का विकास द्वितीय पंचवर्षीय योजना काल में हुआ। इसके अंतर्गत निम्न जल विद्युत केंद्र निर्मित किए गए है।
- गांधी सागर जल विद्युत केंद्र -
1) यह मप्र के भानपुर (मंदसौर) में 1960 में स्थापित किया गया।
2) यह मप्र तथा राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
3) कुल विद्युत क्षमता - 115 (50:50) मेगावॉट।
- राणा प्रताप सागर जल विद्युत केंद्र -
2) यह मप्र तथा राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
3) कुल उत्पादन क्षमता - 172 (50:50) मेगावॉट है।
- जवाहर सागर या कोटा जल विद्युत केंद्र -
2) यह भी मप्र तथा राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
3) कुल उत्पादन क्षमता - 99 (50:50) मेगावॉट।
2. नर्मदा सागर परियोजना :-
- सरदार सरोवर जल विद्युत केंद्र :-
2) उत्पादन क्षमता - 1450 मेगावॉट।
3) मप्र : गुजरात : महाराष्ट्र = 57 : 27 : 16 (हिस्सेदारी)
- इंदिरा जल विद्युत केंद्र :-
2) उत्पादन क्षमता - 1000 मेगावॉट।
- ओम्कारेश्वर जल विद्युत केंद्र :-
2) उत्पादन क्षमता - 520 मेगावॉट।
3) यह पहली निजी क्षेत्र की जल विद्युत परियोजना है।
- महेश्वर जल विद्युत केंद्र :-
2) उत्पादन क्षमता - 400 मेगावॉट।
2. बरगी जल विद्युत केंद्र (जबलपुर) :-
- इसे रानी अवंतीबाई जल विद्युत केंद्र कहा जाता है।
- यह नर्मदा की सहायक बरगी पर बना है।
- उत्पादन क्षमता - 100 मेगावॉट।
3. टोंस जल विद्युत केंद्र (रीवा) :-
- यह मप्र के रीवा जिले में टोंस नदी पर स्थापित किया गया है।
- उत्पादन क्षमता - 315 मेगावॉट।
4. पेंच जल विद्युत केंद्र (छिंदवाड़ा) :-
- यह मप्र के छिंदवाड़ा जिले में पेंच नदी पर स्थित है।
- यह मप्र तथा महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है।
- कुल उत्पादन क्षमता - 160 (97:03) मेगावॉट।
5. राजघाट जल विद्युत केंद्र (ललितपुर , उप्र) :-
- इसे रानी लक्ष्मीबाई जल विद्युत केंद्र भी कहा जाता है।
- यह मप्र तथा उप्र की संयुक्त परियोजना है।
- कुल उत्पादन क्षमता - 45 (50:50) मेगावॉट।
6. बाण सागर जल विद्युत केंद्र (शहडोल) :-
- यह सोन नदी पर निर्मित जल विद्युत केंद्र है।
- जो मप्र , उप्र तथा बिहार राज्यो के सहयोग से निर्मित है।
- कुल उत्पादन क्षमता - 405 मेगावॉट।
7. रिहन्द परियोजना (उप्र) :-
- यह मप्र तथा उप्र की संयुक्त परियोजना है।
- यह उप्र के मिर्जापुर जिले के पीपरी नामक स्थान पर स्थापित है।
8. हीराकुंड परियोजना (उड़ीसा) :-
- यह मप्र तथा उड़ीसा की संयुक्त परियोजना है।
गैर - परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत :-
गैर - परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत ऊर्जा के ऐसे स्त्रोत है जो न तो निकट भविष्य में समाप्त होने वाले है और न ही प्रदूषण फैलाने वाले होते है।प्रदेश में निमनलिखित ऊर्जा स्त्रोत है -
- सौर ऊर्जा
- पवन ऊर्जा
- बायोमास
- बायोगैस
- हाइड्रेन जल पंप
- बायोडीजल

सोलर प्लांट

- सौर ऊर्जा :-
- मध्यप्रदेश में वर्तमान में कुल स्थापित क्षमता 2.14 हजार किलोवॉट है।
- राज्य में एशिया की सबसे बड़ी परियोजना नीमच में स्थापित है, जिसकी कुल क्षमता 135 मेगावॉट है।
- प्रदेश में सोलर वोल्टिक संयंत्र स्थापित किए गए है जो सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देते है।
- सोलर वोल्टिक संयंत्र का सर्वाधिक प्रयोग झाबुआ जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में किया गया है।
- सौर ऊर्जा से पानी गर्म करने का देश का सबसे बड़ा संयंत्र भोपाल डेयरी में स्थापित किया गया है।
2. पवन ऊर्जा :-
- राज्य में वर्तमान में 213 मेगावॉट पवन ऊर्जा प्राप्त की जा रही है।
- पवन ऊर्जा हेतु आदर्श वायु गति 8 से 23 मी./ से. है।
- प्रदेश में कुल पवन चक्कियां 148 है
- सर्वाधिक पवन चक्कियां इंदौर में (39) स्थापित है।
- ये पवन चक्कियां मूख्यतः देवास के निकट जामगोदरानी के आसपास स्थापित किए गए है।
3. बायोमास :-
- पौधों एवं जैविक कचरे से ऊर्जा प्राप्त करने की प्रणाली को बायोमास कहते है।
- प्रदेश में वर्तमान में 82 मेगावॉट क्षमता की बायोमास आधारित परियोजनाएं स्थापित है।
- मप्र के बैतूल जिले के भैंसदेही तहसील के कसई गांव में जैविक कचरे से , धार जिले के जदुखेडा में धान की भूंसी से , तथा ग्वालियर एवं मुरैना में गन्ने की खोई से बिजली उत्पन्न करने के संयंत्र स्थापित किए गए है।
4. बायोगैस :-
- जीवो के अवशिष्ट पदार्थो से बायोगैस का उत्पादन किया जाता है।
- भोपाल के भदभदा पशुपालन विभाग में 1984 में पहली बार बायोगैस प्लांट स्थापित किया गया।
- वर्तमान में 19.54 हजार बायोगैस संयंत्रों का निर्माण किया जा चुका है।
5. हाइड्रेन जल पंप :-
- छोटी नदियों अथवा नालो के समीप स्थित खेतो में बिजली या बगैर ईंधन के सिंचाई उपलब्ध कराने हेतु हाइड्रेंन जल पंप का उपयोग किया जाता है।
- मप्र में सर्वाधिक हाइड्रेंन जल पंप खरगोन में है।
6. बायोडीजल :-
- जेट्रोफा से बायोडीजल प्राप्त किया जाता है।
- मप्र में 40 हजार हेक्टेयर में यह रोपित किया गया है।
- मप्र के मंडला जिले के वांशधारी गांव में बायोडीजल पर आधारित ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है।
- इस संयंत्र में जेट्रोफा तेल के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त की जाती है।
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