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मध्यप्रदेश के ऊर्जा संसाधन  :-  ऊर्जा के 2 स्रोत है  - परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत गैर - परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत  :- वे स्त्रोत जिनके निकट भविष्य में  समाप्त होने की संभावना  है , यद्यपि इनके भंडार सीमित है परन्तु ये मप्र में ऊर्जा के बड़े भाग की पूर्ति करते है।  प्रदेश के प्रमुख परंपरागत ऊर्जा निम्नलिखित है  - ताप विद्युत केंद्र :-                                  सतपुड़ा ताप विद्युत केंद्र चांदनी ताप विद्युत केंद्र (बुरहानपुर)  :- यह मप्र का  प्रथम ताप विद्युत केंद्र  है। स्थापना -  1953 , नेपानगर (बुरहानपुर) उत्पादन क्षमता -  17 मेगावॉट । यहां  तवा क्षेत्र का कोयला  तथा  पानी  उपयोग किया जाता है।   2.  विंध्याचल  ताप विद्युत केंद्र (सिंगरौली)  :- यह  सिंगरौली के बैढ़न  में स्थित है। उत्पादन क्षमता -  4760 मेगावॉट । यह भारत का  सबसे बड़ा ताप विद्युत केंद्र ...
मध्यप्रदेश की खनिज सम्पदा :- प्रदेश  का  खनिज भंडारण  की दृष्टि से  देश में तीसरा  तथा  उत्पादन की दृष्टि से चौथा   स्थान है। मप्र ने अपनी  पहली खनिज नीति 1995  में , जबकि  नवीनतम खनिज नीति 2010  में घोषित की।  मप्र खनिज विकास निगम की स्थापना  19 जनवरी 1962  में की गई , जिसका  मुख्यालय भोपाल  में है।                मप्र में खनिज वितरण मप्र के प्रमुख खनिज :- कोयला (काला हीर) :- कोयले के उत्पादन में  छत्तीसगढ़   तथा   झारखंड  क्रमशः  पहले   तथा   दूसरे   स्थान पर है। जबकि  मप्र चौथे स्थान  पर है। मप्र में  मध्य भारत कोयला क्षेत्र  तथा  सतपुड़ा कोयला क्षेत्र  प्रमुख कोयला उत्पादन क्षेत्र है। सोहागपुर  कोयला क्षेत्र मप्र का  सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र  (शहडोल) है। मप्र की प्रमुख कोयला खदाने  बैढ़न (सिंगरौली)  ,सोहागपुर (शहडोल) , उमरिया , किरार क्षेत्र (अनूपपुर) तथा जोहिला घाटी है। ...
मध्यप्रदेश नदी घाटी परियोजना :-              सरदार सरोवर बांध चंबल नदी घाटी परियोजना  :- यह  मप्र की प्रथम नदी घाटी  परियोजना है। प्रारंभ -  1953-54 यह  मप्र  और  राजस्थान की संयुक्त  परियोजना है। इस परियोजना के अंतर्गत निम्न बांध निर्मित किए गए है -       1) गांधी सागर बांध ( 115 MW )                   -   मंदसौर      2) राणाप्रताप सागर बांध ( 172 MW )            -  चित्तौड़गढ़      3) जवाहर सागर कोटा बैराज बांध ( 99 MW )  -   कोटा  2.  बाण सागर परियोजना  :- यह  मप्र , उप्र एवम् बिहार की संयुक्त  परियोजना है। यह  सोन नदी  पर निर्मित है। यह बांध  शहडोल के देवलोंद के पास  निर्मित किया गया है। कुल विद्धुत उत्पादन क्षमता -  435 MW  3.  नर्मदा घाटी परियोजना  :-  यह एक बहुउद्देशीय परियोजना है...
मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान  :- मध्यप्रदेश वन सम्पदा एवं वन्य जीवो की दृष्टि से संपन्न राज्य है। अतः मप्र में वन्य जीवों को प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य स्थापित किए गए है।  राष्ट्रीय उद्यान केंद्र सरकार के अधीन  होते है। वर्तमान में मप्र में  राष्ट्रीय उद्यान  की संख्या  12  ( कुनो - पालपुर {श्योपुर} के राष्ट्रीय उद्यान घोषित होने के बाद ) है। इनमे से  6 राष्ट्रीय उद्यान  -  कान्हा किसली , बांधवगढ़ , पन्ना , पेंच , सतपुड़ा , संजय राष्ट्रीय उद्यान  तथा  1 वन्य जीव अभ्यारण्य   रातापानी अभ्यारण्य (रायसेन)   प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल  है।          मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान (मंडला) - सबसे बड़ा स्थान  -  मंडला 1933 में कान्हा किसली अभ्यारण्य की स्थापना की गई थी जिसे  1955 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा  दिया गया। यह  मप्र का   प्रथम राष्ट्रीय उद्यान  है। इसे सर्वप्रथम  1974 में प्रोजे...
मध्यप्रदेश की मिट्टियां  :- भू - पृष्ठ की सबसे ऊपरी परत , जो पौधों को उगने एवं बढ़ने के लिए जीवाश्म तथा खनिज प्रदान करती है , मृदा या मिट्टी कहलाती है , अर्थात - मृदा ह्यूमस से युक्त ढीला पदार्थ है , जो पौधों के लिए आद्रता तथा आहार प्रदान करता है।              मप्र में मिट्टियों का वितरण एवं विस्तार मिट्टी के प्रकार  :-      मप्र में मिट्टियों के प्रकार      मध्यप्रदेश में मुख्यत:  5 प्रकार  की मिट्टी पाई जाती है - काली मिट्टी गहरी काली मिट्टी साधारण काली मिट्टी छिछली काली मिट्टी   2 .  लाल व पीली मिट्टी   3 .  जलोढ़ मिट्टी   4 .  कछारी मिट्टी   5 .  मिश्रित मिट्टी काली मिट्टी  (47.6%)  :- इसे  रेगुर मिट्टी  के नाम से भी जाना जाता है। इसे स्थानीय लोग  भर्री  या  कन्हर  भी कहते है। यह मप्र में  सर्वाधिक पाई जाने वाली मिट्टी  है , जो मप्र के लगभग  47.6 %  भाग में पाई जाती है। इसका  निर्माण   दक्कन...
मध्यप्रदेश की जलवायु :-   किसी भू - भाग पर लंबे समय तक पाए जाने वाले तापमान की अवस्था , वर्षा की मात्रा एवम् हवाओ की गति उस क्षेत्र की जलवायु को प्रदर्शित करते है। मध्यप्रदेश में भी भारत की तरह  उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु  पाई जाती है। प्रदेश को जलवायु के आधार पर 4 भागो में विभाजित किया गया है - उत्तर का मैदानी क्षेत्र  मालवा का पठारी क्षेत्र विंध्याचल का पर्वतीय क्षेत्र नर्मदा घाटी तथा उसका दक्षिणी क्षेत्र            मध्यप्रदेश के जलवायु क्षेत्र              उत्तर का मैदानी क्षेत्र :-  इसमें बुंदेलखंड , रीवा - पन्ना का पठार व मध्य भारत क्षेत्र स्थित है। इस क्षेत्र में  ग्रीष्म ऋतु अत्यधिक गर्म  होती है। तथा हिमालय की समीपता के कारण  शीत ऋतु में अत्यधिक ठंडी  होती है।  2.  मालवा का पठारी क्षेत्र :-   यह  सम जलवायु  क्षेत्र है। चीनी यात्री फह्यान ने इसे  सर्वश्रेष्ठ जलवायु  वाले क्षेत्र के रूप में वर्णित किया है। यहां  ग्रीष्म ऋतु साधारण ...